अक्षत नाट्य संस्था गोपेश्वर द्वारा अक्षत् प्रेक्षागृह में किया गया ‘लक्ष्मी की उड़ान’ नाटक का सफल आयोजन..
गोपेश्वर। विजय बशिष्ठ द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक लक्ष्मी की उड़ान का मंचन अक्षत लघु प्रेक्षागृह में किया गया जिसे दवरा भरपूर सराहना प्राप्त हुई …..नाटक में गांव की एक गरीब बेटी लक्ष्मी के संघर्ष की कहानी है जो एक सम्मान समारोह से प्रारम्भ होती है ….जिसमे लक्ष्मी का सम्मान होना है …लक्ष्मी ने हाई स्कूल परीक्षा में 98 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं लक्ष्मी को सम्मानित करने के लिए मंत्री जी आते हैं …परन्तु यह सम्मान समारोह पूर्ण रूप से राजनीती का मंच है बेनर में सिर्फ मंत्री जी का महिमा मंडन किया गया है लक्ष्मी का कहीं भी नाम नहीं है …
सिर्फ लक्ष्मी के नाम को भुनाकर आयोजक अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का प्रयाश कर रहे हैं …लक्ष्मी का सम्मान की औपचारिकता निपटाकर मंत्री जी कास्को क्रिकेट मैच का उद्घाटन करने चले जाते हैं …जब लक्ष्मी मंच पर कुछ कहना चाहती है तो उसे आयोजकों द्वारा हतोत्साहित किया जाता है ..परन्तु कुछ लोगों के प्रोत्साहन के कारण वो मंच पर सबोधन करती है और ये पुरुष्कार अपनी माँ को समर्पित करती है …और अपनी माँ और अपने संघर्ष की कहानी लोगों को सुनती है ……लक्ष्मी एक शराबी और दकियानूसी विचारधारा वाले व्यक्ति की बेटी है जो उसे अनचाही औलाद और मनहूस समझकर तिरस्कार करता रहता है।
लक्ष्मी पढ़ना चाहती है.परन्तु लक्ष्मी का बाप उसे स्कूल नहीं भेजना चाहता …लक्ष्मी की माँ चोरी छुपे उसका दाखिला गाँव के सरकारी स्कूल में करवाती है ..जब बाप को पता चलता है तो वो माँ बेटी को बहुत फटकारता है बेटी को बांधकर घर के अंदर बंद कर देता है .लक्ष्मी के स्कूल का अध्यापक लक्ष्मी के बाप को समझाता है …वजीफे के लालच के कारण लक्ष्मी को स्कूल जाने की अनुमति दे देता है …लक्ष्मी को हिदायत दी जाती है कि स्कूल से सीधे गर आएगी किसी भी लड़के से बात नहीं करेगी और बहुत सारी बंदिशों का बोझ लिए लक्ष्मी स्कूल जाती है ….स्कूल में हर प्रतियोगिता और परीक्षा में लक्ष्मी प्रथम आती है …लक्ष्मी की जिंदगी में नया मोड़ तब आता है ..जब लक्ष्मी अंतर्जनपदीय कविता प्रतियोगिता में प्रथम आती है …प्रतियोगिता का विषय होता है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ …लक्ष्मी यह ख़ुशी होनी माँ से बांटना चाहती है पर जब बाप को पता चलता है तो बहुत नाराज होता है और उसका सर्टिफिकेट फाड़ देता है।
वह लक्ष्मी के मास्टर के साथ गोपेश्वर जाने और मंच पर कविता पाठ से नाराज है ..वह लक्ष्मी से कहता है ..न जाने कितने लोगों ने तुझे देखा होगा ताली बजायी होगी सीटी बजायी होगी मास्टर को भला बुरा कहता है और अचानक उसे हार्ट अटेक आता है। लक्ष्मी के वजीफे के पैसों से पिता का इलाज होता है।
अंत में बाप का हृदय परिवर्तन होता है और वो बहुत शर्मिंदा होकर बेटी से माफ़ी मांगता है नाटक में जहाँ कलाकारों के चुटीले संवादों से मंच दर्शकों के ठहाको और तालियों से गूँज रहा था वही कुछ मार्मिक दृश्यों में दर्शकों की आँखे नम हो गयी।
नाटक में लक्ष्मी की भूमिका में अमृता ठाकुर पिता की भूमिका में विजय बशिष्ठ माँ की भूमिका में कुसुम बशिष्ठ कार्यक्रम संचालक एवं डॉक्टर की भूमिका में मोहित कोठियाल मास्टर की भूमिका में दीवान सिंह नेगी, नेपाली युवक एवं चपरासी की भूमिका में कलावती मन्दबुद्धि बालक एवं भ्र्ष्ट डॉक्टर की भूमिका में धीरज राणा चमचे की भूमिका में सूरज राणा फोटोग्राफर की भूमिका में अंजलि आदि कलाकारों ने अपने सशक्त अभिनय से नाटक को जीवंत कर दिया इसके अलावा संगीत एवं ध्वनिप्रवाह में पूजा डुंगरियाल प्रकाश एवं मंच व्यवस्था में आशीष बिष्ट .मंच प्रबंधन में मंजू बिष्ट मंच सज्जा एवं सामग्री में दीपक शर्मा आदि ने नाटक को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की मुख्या अतिथि श्रीमती पुष्पा पासवान ने अपने सम्बोधन में रंगकर्म एवं लोक संस्कृति सरक्षण एवं संवर्धन में अक्षत नाट्य संस्था की भूमिका को अग्रणीय बताया नगरपालिका के माध्यम से पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन दिया गया।
इस अवसर पर संस्था के सचिव ओमप्रकाश नेगी, दिनेश पासवान अमित मिश्रा कमल किशोर डिमरी शांति प्रसाद भट्ट जी आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे …..
बहुत बहुत धन्यवाद …सर जी .